रसचक्र को हम रसिकों की अड्डेबाज़ी कहते हैं. रसास्वादन करने और कराने के मकसद से 2016 में भिन्न भिन्न क्षेत्र में सक्रिय कुछ लोगों ने मिलकर यह समूह बनाया है. मुख्यतः इसका कार्यक्षेत्र दिल्ली है. इसे औपचारिक संस्था का ढाँचा नहीं दिया गया है और मिल-जुलकर ही यह समूह चल रहा है.
इसमें हम नाटकीय पाठ - Performative Reading के माध्यम से अलग-अलग किस्म की रचनाओं को लोगों के सामने लेकर आना चाहते हैं. हमारा फोकस मुख्यतः कथेतर गद्य रचनाओं (Non-Fiction) पर है, लेकिन आगे चलकर रसचक्र का अन्य रचनाओं को भी प्रस्तुत करने का इरादा है. फिलहाल हमने स्त्री लेखन पर केंद्रित दो प्रस्तुतियाँ की हैं - 'हम ख़वातीन' और 'सुल्ताना का सपना'. हम नाटकीय पाठ के माध्यम से केवल साहित्य और कला के अनुरागी तक ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग और समुदाय तक चुनींदा रचनाओं को पहुँचाना चाहते हैं.
रसचक्र की गतिविधियाँ नियतकालीन नहीं हैं, फिर भी अनियम का भी एक नियम होगा. नाटकीय पाठ के अलावा गद्य-पद्य की रचनाओं को सुनने-सुनाने की बैठकी भी हमने शुरू की है. अलग-अलग भाषाओं की रचना का आस्वादन होगा, यही उम्मीद है. गायन भी इसमें शामिल है. यह छोटी बैठकी कहीं भी की जा सकती है. अभी तक मिल-जुलकर ऐसी चार बैठकी लगी है.
इसमें हम नाटकीय पाठ - Performative Reading के माध्यम से अलग-अलग किस्म की रचनाओं को लोगों के सामने लेकर आना चाहते हैं. हमारा फोकस मुख्यतः कथेतर गद्य रचनाओं (Non-Fiction) पर है, लेकिन आगे चलकर रसचक्र का अन्य रचनाओं को भी प्रस्तुत करने का इरादा है. फिलहाल हमने स्त्री लेखन पर केंद्रित दो प्रस्तुतियाँ की हैं - 'हम ख़वातीन' और 'सुल्ताना का सपना'. हम नाटकीय पाठ के माध्यम से केवल साहित्य और कला के अनुरागी तक ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग और समुदाय तक चुनींदा रचनाओं को पहुँचाना चाहते हैं.
रसचक्र की गतिविधियाँ नियतकालीन नहीं हैं, फिर भी अनियम का भी एक नियम होगा. नाटकीय पाठ के अलावा गद्य-पद्य की रचनाओं को सुनने-सुनाने की बैठकी भी हमने शुरू की है. अलग-अलग भाषाओं की रचना का आस्वादन होगा, यही उम्मीद है. गायन भी इसमें शामिल है. यह छोटी बैठकी कहीं भी की जा सकती है. अभी तक मिल-जुलकर ऐसी चार बैठकी लगी है.
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