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Showing posts from September, 2017

रसचक्र तेरहवीं बैठकी

22 सितम्बर, 2017 को रसचक्र की तेरहवीं बैठकी सम्पन्न हुई। इस बार बैठकी का स्थान बदला हुआ था। बैठकी मयूर विहार फेज़ 1 में रखी गई थी। तेज़ बारिश के बावजूद रसिकों के उत्साह में कमी नहीं आई और बैठकी में शिरकत करने 9 लोग पहुँचे।  पढ़ी जाने वाली रचनाओं में गद्य और पद्य दोनों तरह की रचनाएँ थीं। मुक्तिबोध, शमशेर बहादुर सिंह, गुलज़ार, केदारनाथ सिंह, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और अखिल की कविताओं का पाठ किया गया। इसके अतिरिक्त गद्य में 'रुकावट के लिए खेद नहीं है' बच्चों द्वारा रचनाएँ जो लॉ फोरम और सराय और अंत मे csd ने प्रकाशित की हैं से कहानी का एक अंश पढ़ा गया।   भोपाल हादसे पर छपी हुई डायरी से भी कुछ अंश पढ़े गए। अंत हुआ ग़ालिब और फ़ैज़ की नज़्म (कोई उम्मीद बर नहीं आती और आज बाज़ार में पाबजौलाँ चलो) से।  रसिकों का चयन सराहनीय रहा। हम उम्मीद करते हैं कि रसिक रचनाओं का चयन करते हुए विधा और भाषा की विविधता का खयाल रखेंगे।