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Showing posts from 2018

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र अठारहवीं बैठकी

रसचक्र की अठारहवीं बैठकी 31 मार्च 2018 को संपन्न हुई। बैठकी में सतरह लोगों ने भाग लिया। 19 मार्च 2018 को हिंदी के प्रसिध्द कवि और गद्यकार केदारनाथ सिंह जी का निधन हुआ इसीलिए बैठकी को केदारनाथ सिंह जी की स्मृति में समर्पित किया गया। बैठकी में शामिल लोगों ने केदारनाथ सिंह जी के संग्रहों से अलग-अलग कविताओं का चुनाव किया और रसिकों के सामने पेश किया।   पढ़ी जाने वाली कविताओं में 'शहर में रात', 'जे.एन. यू. में हिंदी', 'सूर्यास्त के बाद', 'लयभंग', 'पानी की प्रार्थना', 'यह अग्निकिरिटी मस्तक', 'कीड़ा मरा पड़ा है', 'बर्लिन की टूटी दीवार को देखकर', 'आज सुबह के अख़बार में', 'सूई और तागे के बीच में', 'विद्रोह', 'न होने की गंध', 'घोंसलों का इतिहास', 'पाँचवीं चिट्ठी', 'बाघ के दो पाठ', 'कथाओं से भरे देश में मैं भी एक कथा हूँ', 'कलाकार से', 'वापसी', 'आज की धूप में', 'ज़िंदाना कहाँ है', 'कूड़ा और चिड़िया के बीच फँसी एक प्रेम कविता', &

हक़ीक़त और ख़्वाब का प्रदर्शन, जयपुर

हेमलता प्रभु की स्मृति में हक़ीक़त और ख़्वाब का प्रदर्शन, 23.4.18, जयपुर  निर्देशक - विनोद कुमार  मंच पर - पूर्वा भारद्वाज, रिज़वाना फ़ातिमा, रश्मि सिन्हा, श्वेता त्रिपाठी, पूर्णिमा गुप्ता  ग्रीन रूम में   

रसचक्र सत्रहवीं बैठकी

28 जनवरी 2018 को रसचक्र की सत्रहवीं बैठकी सम्पन्न हुई। यह बैठकी अभी तक हुई बैठकी से भिन्न और विशेष थी। इसका कारण था बैठकी का गाँधी स्मृति (जो 30 जनवरी मार्ग पर स्थित है) में होना। जनवरी गाँधी जी की हत्या का महीना है इसलिए बैठकी का आयोजन गाँधी जी के हत्या के स्थल गाँधी स्मृति (जिसका पुराना नाम बिड़ला हाउस है) में किया गया। गाँधी जी को याद करने के लिए इससे बेहतर स्थान नहीं हो सकता। बैठकी का विषय भी गाँधी और उनसे संबंधित रचनाएँ रखी गई थीं। बैठकी में भाग लेने 25 लोग पहुँचे। गाँधी जी से जुड़ी रचनाएँ तो केंद्र में रहीं इसके साथ ही कई और तरह की रचनाओं का पाठ भी यहाँ किया गया। बैठकी का आरंभ हुआ Pearl s buck के अंग्रेज़ी लेख से। इसके अतिरिक्त selected work of Gandhi से राजकुमारी अमृतकौर को गांधी को लिखा गया पत्र पढ़ा गया। गाँधी का पत्र सरोजिनी नायडू के नाम और सरोजिनी नायडू का पत्र गाँधी के नाम पढ़कर सुनाए गए। इन सभी पत्रों की भाषा अंग्रेजी थी। इसके अलावा 24 दिसंबर 1940 को हिटलर को लिखी गाँधी की चिट्ठी रसिकों के सामने पढ़ी गई। महादेवी वर्मा का लिखा लेख 'पुण्य स्मरण' रसिक