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Showing posts from April, 2017

रसचक्र की आठवीं बैठकी

आज 16 अप्रैल, 2017 को रसचक्र की आठवीं बैठकी सम्पन्न हुई। बैठकी में 17 व्यक्तियों ने शिरकत की। कई भाषाओं की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत शामिल थे। पढ़े जानेवाले रचनाकारों में भवानीप्रसाद मिश्र, अष्टभुजा शुक्ल, गोविंद माथुर, कृष्णा सोबती, भगवत रावत, नरेश सक्सेना, नवनीता देवसेन, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, कुँवर नारायण, मुक्तिबोध, महमूद दरवेश, जाफ़र जटल्ली, इब्ने इंशा, निराला, हरिमोहन झा, विजेंद्र अनिल आदि सम्मिलित हैं। जाफ़र जटल्ली की दौरे ज़ुल्मत के खिलाफ लिखी कविताओं से रसिकों का परिचय उर्दू के शिक्षक अली जावेद जी की रोचक कहानियों और जटल्ली के अशआर के माध्यम से हुआ। फर्रुख सियर के अत्याचारों के विरुद्ध लिखे गए जाफ़र के अशआर बहुत मज़बूत हैं जिन्हें समकालीन आलोचकों द्वारा भुला दिया गया है। महमूद दरवेश की कुछ कविताओं - 'The rest of life', 'The law of fear', 'If we want to' का पाठ अंग्रेज़ी में ही किया गया। ये कविताएँ फिलिस्तीन की भयावह स्थिति को सामने लाती हैं। हरिमोहन झा की मैथिली कहानी 'सासुरक चिन्ह' के पाठ का श्रोताओं द्वारा भरपूर आनंद उठाया गया। निर

रसचक्र की सातवीं बैठकी

18 मार्च, 2017 को रसचक्र की सातवीं बैठकी संपन्न हुई थी। ध्यान रहे पिछले सात महीनों से यह बैठकी हर महीने एक बार की जाती है। इस बार की बैठकी में 21 लोग शामिल हुए थे। पढ़ी जानेवाली रचनाओं में कविताएँ, लेख और गीत शामिल थे । देवीप्रसाद मिश्र, अकबर इलाहाबादी, दुष्यंत कुमार, ताहिर फ़राज़, त्रिलोचन, फहमिदा रियाज़, जॉन एलिया, अवतार सिंह पाश, अशोक वाजपेयी, कुमार अंबुज, शिवमंगल सिंह सुमन आदि कवियों की कविताओं का पाठ किया गया। मिर्ज़ा शौक़ लखनवी की 'फ़रेबे इश्क' से कुछ अंश पढ़े गए । ओसिप मंदेलश्ताम की अनूदित कविता ('दुर्दिन है आज') का पाठ किया गया। भिखारी ठाकुर तथा बाबू रघुवीर नारायण द्वारा लिखे गए लोकगीतों का गायन हुआ । साथ ही, हरिवंशराय बच्चन की एक कविता को भी गाया गया। राष्ट्रवाद, हिन्दू धर्म (गाँधी), तथा राष्ट्रवाद की जेंडर विडंबनाएँ (तमार मेयर) जैसे लेखों को रसिकों के साथ साझा किया गया। महेश्वर दयाल की चर्चित रचना 'दिल्ली जो एक शहर है' के रोचक अंशों ने सबको खूब आनंदित किया । इस बार प्रायः सभी कविताओं और लेखों को पहले से चुनकर रसिक जन आए थे, यह सराहनीय था। आगे होनेवाली