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Showing posts from June, 2017

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम