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रसचक्र की ग्यारहवीं बैठकी

30 जुलाई, 2017 को रसचक्र की ग्यारहवीं बैठकी सम्पन्न हुई। बैठकी में 13 लोगों ने भाग लिया। बैठकी में जिन रचनाओं का पाठ किया गया उनमें लेख, संस्मरण, कविताएँ आदि शामिल थीं। इस बार की बैठकी में विशेष रूप से गद्य रचनाएँ अधिक पढ़ी गईं।




शुरुआत ही हुई नामवर सिंह जी की रचना से. उनकी किताब वाद, विवाद, संवाद से  'विश्वविद्यालयों में हिंदी' नामक निबंध का पाठ किया गया। 


हरिशंकर परसाई को पुनः बैठकी में सुनने का अवसर मिला। लेख का नाम था 'भारतीय जनता पार्टी का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन'। वहीं गाँधी जी द्वारा लिखे गए लेख का भी पाठ किया गया।



वहीं प्रेमचंद के विविध प्रसंग में संकलित लेख 'मजनूँ' का पाठ रसिकों के लिए बहुत दिलचस्प रहा। पहली बार बैठकी में शामिल एक साथी ने स्वरचित कहानी सुनाई जिसे सहृदयतापूर्वक सबने चाव से सुना।



जैसा कि घोषित है रसचक्र की बैठकी में अपनी लिखी हुई रचना नहीं, बल्कि अपनी पसंदीदा रचनाओं की साझेदारी की जाती है और उस क्रम में अलग अलग भाषाओं की रचनाओं का रसास्वादन होता है। इस बार उर्दू रचनाओं को खासी जगह मिली। उनके साथ हिंदी और मैथिली भाषा की रचनाएँ बदस्तूर मौजूद थीं.




जिन कवियों की कविताओं का पाठ बैठकी में किया गया वे थे मुक्तिबोध, कुँवर नारायण, मख़्दूम मोहिउद्दीन, नज़ीर अकबराबादी, अदम गोंडवी, अशोक कुमार पाण्डेय और मैथिली कवि उदय चंद्र झा। उदय चंद्र झा की यह कविता बिहार में हो रही मौजूदा राजनीतिक हलचल का पूरा विश्लेषण कर देती है। कविता का शीर्षक था 'गेला नीतीश आएला नीतीश'।



अल्लामा इकबाल को सुनना बहुत सुखद अनुभव रहा। इकबाल की कई वैसी कविताओं से डॉ. अली जावेद जी ने रसिकों को परिचित करवाया जिन्हें अक्सर  छोड़ दिया जाता है। इस बार रचना के साथ इकबाल से जुड़े कई किस्से सुनने का मौका भी रसिकों को मिला।



1920 में लिखे गए ताज साहिबा लाहौरी के लेख 'रानी मीराँ बाई' से बैठकी का अंत हुआ। इसका पाठ मुँहज़बानी किया गया और दो साथियों द्वारा मिलकर किया गया।


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रसदार

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम

गाँधी पर नई प्रस्तुति के रिहर्सल की कुछ तस्वीरें

                  हर कतरा तूफान की रिहर्सल और टीम की मस्ती।