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रसचक्र उन्नीसवीं बैठकी


29 अप्रैल 2018 को रसचक्र की उन्नीसवीं बैठकी संपन्न हुई। इस बैठकी में शिरकत करने वाले लोगों की तादाद 19 रही। बैठकी में गद्यात्मक और पद्यात्मक रचनाओं का पाठ किया गया। पद्यात्मक रचनाओं में हिंदी उर्दू और अंग्रेज़ी के कवियों को पढ़ा गया। हिंदी के कवियों की पढ़ी जाने वाली रचनाएँ इस तरह हैं - 'हमें आज़ादी मिल गई है - बलराज साहनी', 'चाँद का मुँह टेढ़ा है - मुक्तिबोध', 'वित्त मंत्री के साथ नाश्ते की मेज़ पर एक तस्वीर - अरुण कमल', 'सीढ़ियों पर दोनों जगह - अशोक वाजपेयी', 'कुएँ में कोई गिर गया है - विजयदेव नारायण साही' ।

उर्दू के शायरों में 'हम देखेंगे - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़', और मजाज़ लखनवी का 'सरमायदारी' रसिकों के बीच पढ़ा गया। अंग्रेज़ी से wislawa szymborska की कविता 'children of our age' पढ़कर सुनाई गई।

पद्यात्मक रचनाओं में भी भाषा की विविधता देखने के लिए मिली।  नवनीता देवसेन की पुस्तक 'सीता से शुरू' से एक अंश पढ़ा गया। यख अंश सीता को हनुमान द्वारा छुड़ा कर लाने की कथा पर आधारित था। कथा में नवीनता और नाटकीयता के चलते रसिकों द्वारा काफी सराहा गया। इसके अलावा सविता पाठक की कहानी 'बॉडी लेंग्वेज' का पाठ भी किया गया।

अंग्रेज़ी से विवेक मेहरा का एक letter पढ़कर सुनाया गया।

बैठकी में रसिकों द्वारा भाषा और विधा की विविधता पर खासा ध्यान दिया गया है जो सराहनीय है। हम उम्मीद करते हैं कि रसिक इस विविधता को बनाए रखें

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रसदार

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम

गाँधी पर नई प्रस्तुति के रिहर्सल की कुछ तस्वीरें

                  हर कतरा तूफान की रिहर्सल और टीम की मस्ती।