रसचक्र की अठारहवीं बैठकी 31 मार्च 2018 को संपन्न हुई। बैठकी में सतरह लोगों ने भाग लिया। 19 मार्च 2018 को हिंदी के प्रसिध्द कवि और गद्यकार केदारनाथ सिंह जी का निधन हुआ इसीलिए बैठकी को केदारनाथ सिंह जी की स्मृति में समर्पित किया गया। बैठकी में शामिल लोगों ने केदारनाथ सिंह जी के संग्रहों से अलग-अलग कविताओं का चुनाव किया और रसिकों के सामने पेश किया।
पढ़ी जाने वाली कविताओं में 'शहर में रात', 'जे.एन. यू. में हिंदी', 'सूर्यास्त के बाद', 'लयभंग', 'पानी की प्रार्थना', 'यह अग्निकिरिटी मस्तक', 'कीड़ा मरा पड़ा है', 'बर्लिन की टूटी दीवार को देखकर', 'आज सुबह के अख़बार में', 'सूई और तागे के बीच में', 'विद्रोह', 'न होने की गंध', 'घोंसलों का इतिहास', 'पाँचवीं चिट्ठी', 'बाघ के दो पाठ', 'कथाओं से भरे देश में मैं भी एक कथा हूँ', 'कलाकार से', 'वापसी', 'आज की धूप में', 'ज़िंदाना कहाँ है', 'कूड़ा और चिड़िया के बीच फँसी एक प्रेम कविता', 'तलाश', 'एक लोकगीत की अनुकृति', 'ठंड में गोरैया', 'आमुख', 'बनारस', 'एक छोटा सा अनुरोध', 'गाँव आने पर', 'पत्थर', 'चुप्पियाँ', 'पाँव' आदि शामिल थीं।
आउटलुक के संपादक नीलाभ मिश्र जी और रजनी तिलक जी को याद करते हुए उनके लेखन के कुछ अंशों का पाठ बैठकी में किया गया। नीलाभ मिश्र जी के द्वारा लिखा गया संपादकीय रसिकों को सुनाया गया, साथ ही निरंतर संस्था द्वारा निकाले गए दलित विशेषांक से रजनी तिलक जी की आत्मकथा भी पढ़ी गई।
बैठकी का अंत हुआ केदारनाथ सिंह जी की 'बाघ' कविता से।
इस बैठकी के केंद्र में केदारनाथ सिंह जी थे इसीलिए रसिकों का चयन भी उनकी कविताओं के आस-पास ही अधिक रहा। रसिकों ने केदारनाथ सिंह जी की कविताओं के लगभग सभी पक्षों का चयन किया था जिसे काफी सराहा गया।
आउटलुक के संपादक नीलाभ मिश्र जी और रजनी तिलक जी को याद करते हुए उनके लेखन के कुछ अंशों का पाठ बैठकी में किया गया। नीलाभ मिश्र जी के द्वारा लिखा गया संपादकीय रसिकों को सुनाया गया, साथ ही निरंतर संस्था द्वारा निकाले गए दलित विशेषांक से रजनी तिलक जी की आत्मकथा भी पढ़ी गई।
बैठकी का अंत हुआ केदारनाथ सिंह जी की 'बाघ' कविता से।
इस बैठकी के केंद्र में केदारनाथ सिंह जी थे इसीलिए रसिकों का चयन भी उनकी कविताओं के आस-पास ही अधिक रहा। रसिकों ने केदारनाथ सिंह जी की कविताओं के लगभग सभी पक्षों का चयन किया था जिसे काफी सराहा गया।
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