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रसचक्र सोलहवीं बैठकी

31 दिसंबर 2017 को रसचक्र की सोलहवीं बैठकी सम्पन्न हुई। बैठकी में 17 लोगों ने शिरकत की।  हर बार की तरह इस बार भी बैठकी में गद्यात्मक और पद्यात्मक रचनाएँ पढ़ी गईं। गद्य की रचनाओं में सुभद्राकुमारी चौहान की 9 वर्ष की आयु में लिखी गई कहानी 'किस्मत' सुनाई गई और सुधीर चंद्र द्वारा लिखी किताब हिंदी, हिन्दू, हिंदुस्तान से एक लेख पढ़ा गया।

 

पद्यात्मक रचनाओं में हिंदी, उर्दू, भोजपुरी आदि की रचनाओं का पाठ किया गया। हिंदी में रामधारी सिंह दिनकर की लंबी कविता, विनय मिश्र अलवर, सुभद्राकुमारी चौहान की कविताओं का पाठ किया गया तो उर्दू से मजाज़ लखनवी के अशआर पढ़े गए। 



नाज़िम हिकमत की तुर्की में लिखी कविता का अनुवाद पढ़कर सुनाया गया। इसका अनुवाद चंद्रबली जी ने किया है।
प्रकाश उदय द्वारा लिखा गया भोजपुरी गीत पढ़ा गया तो सामा चकवा से संबंधित लोक गीत भी बैठकी में सुनाया गया। अलवर के रहने वाले देवल आशीष का कृष्ण पर लिखा गीत सुनने का मौका भी रसिकों को मिला।



रसिकों ने भाषा और विविधता का ध्यान रखते हुए रचनाओं का चयन किया था, यह चयन सराहनीय है। हम आशा करते हैं कि रसिक इस विविधता का ध्यान रखेंगे और आगे भी अलग-अलग भाषाओं का चयन करके हमें ज्ञान से समृद्ध करते रहेंगे।

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रसदार

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम

गाँधी पर नई प्रस्तुति के रिहर्सल की कुछ तस्वीरें

                  हर कतरा तूफान की रिहर्सल और टीम की मस्ती।