29 अक्टूबर, 2017 में रसचक्र की बैठकी का आयोजन किया गया. इसमें 14 लोगों ने हिस्सा लिया. बैठकी में गद्य और पद्य दोनों की रचनाओं का पाठ हुआ. बैठकी में जो रचनाएँ सुनाई गईं उनमें रसिकों ने विदेशी रचनाओं के अनुवाद के साथ भारतीय भाषाओँ की रचनाओं का अनुवाद भी पढ़ा. इसके साथ ही आंचलिक भाषा की मूल रचनाओं का पाठ किया गया जो रसिकों को काफी पसंद आया.
श्रीलंका के अप्पादुराई मुत्तुलिंगम की लिखी तमिल कहानी का पाठ बैठकी में किया गया। पद्मा नारायण द्वारा किए गए इस कहानी के अंग्रेज़ी अनुवाद (gravity tax) को उसी समय हिंदी में अनुदित करके रसिकों के सामने सुनाया गया. अलग तरह की फैंटेसी में लिखी गई इस कहानी को रसिकों से बहुत सराहना भी मिली।
बैठकी में डोगरी भाषा से अनुदित पद्मा सचदेव की कविताएँ रसिकों ने सुनीं । यह अनुवाद खुद पद्मा सचदेव ने ही किया था। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा किया हुआ विदेशी कविताओं का अनुवाद भी रसचक्र की बैठी में पढ़ा गया। इसमें जर्मन कवि का (हेन्स मैग्नस ऐसेंसबर्गर) अनुवाद शामिल है। मार्टिन निमोफोयलर के वाक्यांश का अनुवाद सुनना रसिकों के लिए नया अनुभव था।
डॉ. प्रकाश उदय की भोजपुरी कविता "कहो का हाल चाल" का पाठ भी रसिकों के सम्मुख किया गया।
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता "आप सुनेंगी कविता", रघुवीर सहाय की "मुझे कुछ और कहना था", "हँसो हँसो जल्दी हँसो" कविता का पाठ बैठकी में किया गया। इसके साथ ही दुष्यंत कुमार, निदा फ़ाज़ली, साहिर लुधयानवी की कविताएँ रसचक्र में पढ़ी गईं। बैठकी का अंत हुआ फ़िदेल कास्त्रो की मौत पर चे ग्वेरा की लिखी गई कविता "ये तानाशाह" से।
रसिकों की रचनाओं का चयन विविधता को लिए हुए था। हम उम्मीद करते हैं रसिक इस विविधता को ध्यान में रखते हुए रचनाओं का चयन आगे भी करते रहेंगे।
श्रीलंका के अप्पादुराई मुत्तुलिंगम की लिखी तमिल कहानी का पाठ बैठकी में किया गया। पद्मा नारायण द्वारा किए गए इस कहानी के अंग्रेज़ी अनुवाद (gravity tax) को उसी समय हिंदी में अनुदित करके रसिकों के सामने सुनाया गया. अलग तरह की फैंटेसी में लिखी गई इस कहानी को रसिकों से बहुत सराहना भी मिली।
बैठकी में डोगरी भाषा से अनुदित पद्मा सचदेव की कविताएँ रसिकों ने सुनीं । यह अनुवाद खुद पद्मा सचदेव ने ही किया था। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा किया हुआ विदेशी कविताओं का अनुवाद भी रसचक्र की बैठी में पढ़ा गया। इसमें जर्मन कवि का (हेन्स मैग्नस ऐसेंसबर्गर) अनुवाद शामिल है। मार्टिन निमोफोयलर के वाक्यांश का अनुवाद सुनना रसिकों के लिए नया अनुभव था।
डॉ. प्रकाश उदय की भोजपुरी कविता "कहो का हाल चाल" का पाठ भी रसिकों के सम्मुख किया गया।
रसिकों की रचनाओं का चयन विविधता को लिए हुए था। हम उम्मीद करते हैं रसिक इस विविधता को ध्यान में रखते हुए रचनाओं का चयन आगे भी करते रहेंगे।
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