Skip to main content

रसचक्र पंद्रहवीं बैठकी

25 नवंबर 2017 की शाम रसचक्र की पंद्रहवीं बैठकी सम्पन्न हुई। बैठकी में शिरकत करने वाले लोगों की तादाद सोलह रही। चूँकि नवंबर में ही हिंदी साहित्य जगत के बड़े कवि कुँवर नारायण का देहांत हुआ है इसलिए ख़ासतौर पर इस बैठकी में उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई। तक़रीबन सभी साथियों ने कुँवर नारायण जी की रचनाओं का पाठ किया जिसमें उनकी कविताएँ, गद्य और उनके द्वारा किया गया अनुवाद भी शामिल था। कविताओं में चक्रव्यूह  नामक संकलन से 'धब्बे और तस्वीर', वाजश्रवा के बहाने  से 'असंख्य नामों के ढेर में', कोई दूसरा नहीं  से 'नौकरशाह', इन दिनों  से  'अयोध्या', 'आवाज़ें', 'दीवारें' पढ़ी गईं तो 'मौत की घंटी', 'पुनश्च', 'माध्यम', 'अग्रिम','रंगों की हिफाज़त', 'नंगे सपने', 'संगीत मेरे लिए सफ़र सरीखा है' जैसी अनेक कविताएँ पढ़ी गईं।



कुँवर नारायण द्वारा किया गया पोलिश कवि का अनुवाद भी रसचक्र की बैठकी में पढ़ा गया। 


'एक स्थापना' शीर्षक से कुँवर नारायण का संवाद जो इतिहासबोध के विषय मे जानकारी देता है भी पढ़ा गया।

 


    
महादेवी वर्मा के गद्य का निराला पर लिखा गया संस्मरण 'निराला भाई' सुनना भी रसिकों के लिए आनंदमय अनुभव रहा।

इसके साथ ही जैसा कि रसचक्र की विशेषता है, अलग-अलग भाषाओं की रचनाओं को इस मंच पर स्थान दिया  गया। काशीकांत मिश्र 'मधुप' की मैथिली कविता 'घसल अठ्ठन्नी' और महेश कटारे 'सुगंध' की बुंदेली ग़ज़ल बैठकी में पढ़ी गईं।   

सच्चिदानंद राउतराय की उड़िया कविता 'छूटो मोरो गाँ ठी' ने एकदम नई ध्वनियों से श्रोताओं को परिचित कराया.।  उसका हिन्दी में सारांश प्रस्तुत करने से कविता को समझने में मदद मिली। उर्दू शायर अली सरदार जाफरी की नज़्में जब सुनाई जा रही थीं तो रसिकजन खुली छत पर ठंड का अहसास करते हुए भी जमे हुए थे। 



 



रसचक्र की बैठकी में रसिकों की रचनाओं का चयन अच्छा था। हम आशा करते हैं कि रसिक भविष्य में होने वाली बैठकी में रचनाओं का चयन करते हुए इसी तरह भाषाओं और विधाओं की विविधता का ख़याल रखेंगे।


Comments

रसदार

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम

गाँधी पर नई प्रस्तुति के रिहर्सल की कुछ तस्वीरें

                  हर कतरा तूफान की रिहर्सल और टीम की मस्ती।