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रसचक्र तेरहवीं बैठकी

22 सितम्बर, 2017 को रसचक्र की तेरहवीं बैठकी सम्पन्न हुई। इस बार बैठकी का स्थान बदला हुआ था। बैठकी मयूर विहार फेज़ 1 में रखी गई थी। तेज़ बारिश के बावजूद रसिकों के उत्साह में कमी नहीं आई और बैठकी में शिरकत करने 9 लोग पहुँचे। 

पढ़ी जाने वाली रचनाओं में गद्य और पद्य दोनों तरह की रचनाएँ थीं। मुक्तिबोध, शमशेर बहादुर सिंह, गुलज़ार, केदारनाथ सिंह, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और अखिल की कविताओं का पाठ किया गया।
इसके अतिरिक्त गद्य में 'रुकावट के लिए खेद नहीं है' बच्चों द्वारा रचनाएँ जो लॉ फोरम और सराय और अंत मे csd ने प्रकाशित की हैं से कहानी का एक अंश पढ़ा गया।
 

भोपाल हादसे पर छपी हुई डायरी से भी कुछ अंश पढ़े गए।
अंत हुआ ग़ालिब और फ़ैज़ की नज़्म (कोई उम्मीद बर नहीं आती और आज बाज़ार में पाबजौलाँ चलो) से। 



रसिकों का चयन सराहनीय रहा। हम उम्मीद करते हैं कि रसिक रचनाओं का चयन करते हुए विधा और भाषा की विविधता का खयाल रखेंगे।

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रसदार

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम

गाँधी पर नई प्रस्तुति के रिहर्सल की कुछ तस्वीरें

                  हर कतरा तूफान की रिहर्सल और टीम की मस्ती।