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रसचक्र की सातवीं बैठकी




18 मार्च, 2017 को रसचक्र की सातवीं बैठकी संपन्न हुई थी। ध्यान रहे पिछले सात महीनों से यह बैठकी हर महीने एक बार की जाती है। इस बार की बैठकी में 21 लोग शामिल हुए थे। पढ़ी जानेवाली रचनाओं में कविताएँ, लेख और गीत शामिल थे । देवीप्रसाद मिश्र, अकबर इलाहाबादी, दुष्यंत कुमार, ताहिर फ़राज़, त्रिलोचन, फहमिदा रियाज़, जॉन एलिया, अवतार सिंह पाश, अशोक वाजपेयी, कुमार अंबुज, शिवमंगल सिंह सुमन आदि कवियों की कविताओं का पाठ किया गया। मिर्ज़ा शौक़ लखनवी की 'फ़रेबे इश्क' से कुछ अंश पढ़े गए । ओसिप मंदेलश्ताम की अनूदित कविता ('दुर्दिन है आज') का पाठ किया गया। भिखारी ठाकुर तथा बाबू रघुवीर नारायण द्वारा लिखे गए लोकगीतों का गायन हुआ । साथ ही, हरिवंशराय बच्चन की एक कविता को भी गाया गया। राष्ट्रवाद, हिन्दू धर्म (गाँधी), तथा राष्ट्रवाद की जेंडर विडंबनाएँ (तमार मेयर) जैसे लेखों को रसिकों के साथ साझा किया गया। महेश्वर दयाल की चर्चित रचना 'दिल्ली जो एक शहर है' के रोचक अंशों ने सबको खूब आनंदित किया । इस बार प्रायः सभी कविताओं और लेखों को पहले से चुनकर रसिक जन आए थे, यह सराहनीय था। आगे होनेवाली बैठकों में भी पूर्व तैयारी दिखेगी, इसकी उम्मीद की जाती है। बैठकी के कुछ दृश्य :

   




















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रसदार

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम

गाँधी पर नई प्रस्तुति के रिहर्सल की कुछ तस्वीरें

                  हर कतरा तूफान की रिहर्सल और टीम की मस्ती।