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रसचक्र की छठी बैठकी

कल यानी 26 फरवरी, 2017 को रसचक्र की छठी बैठकी संपन्न हुई. यह महीने में एक बार हो रही है. इस बार की बैठकी में 20 लोग उपस्थित थे. अकबर इलाहाबादी, मुक्तिबोध, कुँवर नारायण, केदारनाथ सिंह, ज्ञानेंद्रपति, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, दुष्यंत कुमार, रमाशंकर विद्रोही, बर्तोल्त ब्रेख्त, सुवीर मंडल, Primo Levi (1919-1987, Italian Jewish writer, and Holocaust survivor), Tadeusz Rozewicz (1921-2014, Polish poet), Maya Angelou (1928-2014, मशहूर अश्वेत अमेरिकी कवयित्री), Claude Mckay (1889-1948, जमैका के प्रसिद्ध कवि) आदि की प्रतिरोध के स्वरवाली रचनाओं का पाठ किया गया. अंग्रेज़ी की रचनाओं में से एक 19 साल की अमेरिकी कवयित्री Nina Donovan की ट्रम्प के खिलाफ लिखी कविता का पाठ हुआ. एक और युवा कवयित्री नीलाशी शुक्ला की इराक विध्वंस पर लिखी कविता भी पढ़ी गई. 'पिता का पत्र पुत्री के नाम' का एक अंश भी सबने सुना. मिसेज़ सैय्यद मछली शहरी की 1937 की गद्य रचना में औरतों के मताधिकार आंदोलन का ज़िक्र था. आगे से हम सबको चयन पर और मेहनत करनी है. फोन का इस्तेमाल भी कम करना है.






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रसदार

मोहब्बत ज़िंदाबाद

 7 जुलाई को रसचक्र की नवीनतम प्रस्तुति मोहब्बत ज़िंदाबाद में प्रेम की 51 कविताओं का पाठ किया गया. रसखान से लेकर भिखारी ठाकुर, मंगलेश डबराल और रोमानियाई कवयित्री निना कास्सिआन, पोलिश कवि रुज़ेविच तक की कविताओं में प्रेम के रंगारंग रूप को पेश किया गया. पाठात्मक प्रस्तुति में शामिल साथी हैं - मैत्रेयी कुहु, आकाश गौतम, रिज़वाना फ़ातिमा, श्वेता त्रिपाठी, श्वेतांक मिश्रा, पूर्णिमा गुप्ता, पूर्वा भारद्वाज, अलका रंजन, वंदना राग और अपूर्वानंद. संकलन और चयन था पूर्वा भारद्वाज और रिज़वाना फ़ातिमा का. सहयोगी थे  नील माधव और अपूर्वानंद.

रसचक्र की नवीं बैठकी

27 मई 2017 को रसचक्र की नवीं बैठकी संपन्न हुई. बैठकी में लगभग चौदह लोगों ने शिरकत की. कई भाषाओँ की रचनाओं का पाठ किया गया जिनमें गद्य, पद्य तथा गीत भी शामिल थे. पढ़े जाने वाली रचनाओं में भारतीय और विदेशी भाषाओँ के कवि और लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं. अशोक वाजपेयी, कुँवर नारायण और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविताओं का पाठ किया गया. मंटो के खतों के कई हिस्से भी इस बार की रसचक्र  की बैठकी का हिस्सा रहे, वहीँ कार्ल सगान के निबंध 'अ पेल ब्लू डॉट' का पाठ किया गया. रसचक्र की बैठकी का एक आकर्षण रहा टिम अर्बन द्वारा किया गया 'Fermi's paradox' का वर्णन. अलग-अलग तरह की आकाशगंगाओं में जीवन के चिह्न क्यों नहीं हैं, इस विषय पर बहुत दिलचस्प शैली में लिखी गई रचना है यह. 'कलामे निस्वाँ' से मिसेज़ सीन. मीम. दाल द्वारा लिखित ‘अनोखी शादियाँ’ का पाठ हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान के इतिहास से संबंधित स्मृतियों का ज़िक्र भी किया गया तो नेहरु की वसीयत और उनके पत्रों का पाठ भी किया गया. साथ में पद्मावत और सूरसागर के एक पद का गायन हुआ. अंत हुआ हिम

गाँधी पर नई प्रस्तुति के रिहर्सल की कुछ तस्वीरें

                  हर कतरा तूफान की रिहर्सल और टीम की मस्ती।